QUOTE'S

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" वो शाम भी अजीब थी,
ये शाम भी अजीब है,
बदला तो बस वक़्त है
बंदिशे तो कल भी थी,
बंदिशे जो आज भी हैं,
झुकी झुकी निग़ाहों में कहीं मेरा ख्याल था
ये भी कैसा मेरा ख्याल था
सहमी सी होठों पे कहीं मेरा नाम था
न जाने ये कैसा मेरा ख्याल था

ढल रही है शाम ,ख्वाइशें भी मेरी,
बुझ गया एक और दिया,चाहतें भी मेरी,
वो शाम भी अजीब थी,
ये शाम भी अजीब है,
बदला तो बस वक़्त है
बंदिशे तो कल भी थी,
बंदिशे जो आज भी हैं"
Inspired by gulzar written song(वो शाम भी अजीब थी)
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" फिर वही रात है, अनकही सी बात है,
तुम हो यहीं हम भी हैं यहीं
और हैं फासले भी वही
फिर वही रात है, अनकही सी बात है,
फिर वही रात है...

ठण्ड हवा आज भी है,
जैकेट पहना वो आज भी है,
मगर आज बदन से मेरी लिपटी एक सौल है
कैसे केह दूँ उससे लग रही ठण्ड मुझे आज भी है,
फिर वही रात है, अनकही सी बात है,....
फिर वही रात है...

बन्ध गया हूँ अब मैं बेड़ियों से
ये फासले अब मैं मिटा सकती नहीं
चाह कर दो कदम बढ़ा भी लूँ
मगर रिश्तों से अब मैं जित सकती नहीं
नजरों से दिल की बातें सुन सके तो सुन लेना
(क्योंकि अभी मैं किसी और की हूँ
तुम्हारी कभी अब मैं बन सकती नहीं)
लफ़्ज़ों से कुछ अब मैं केह सकती नहीं,

देखो आई फिर वही रात है, अनकही सी बात है,
तुम हो यहीं हम भी हैं यहीं
और हैं फासले भी वही
फिर वही रात है, अनकही सी बात है,....
फिर वही रात है... "
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" Ho tum mithi,sakr jaesi,
Mgr ghulti, km ho,,
Ek baat bataun,
Mujhe km sakr,, bahut psnd hai "
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" Sang tere bitaye wo pl ,
yaadon me apne smbhal rkha hoon,
Plke bndkr khabon ko ,
ankhon me apne sja rkha hoon,
Loutkr aana tum
Intezar me tere , shayari ko apne av adhura rkha hoon "
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" इस शहर की एक रीत रही है
जो छूटता (बिछड़ता) है, वो कभी फिर मिलता नही । "
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" Ajib ye sehar or is sehar ki hawa hai jnaab
Haal poochho to bolte hain "jldi kaho kya kaam hai "
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" (रिस्ते में दरारे पड़ती रहती हैं अपने रिस्ते पे भरोसा रखो थोडा वक़्त दो , वक़्त सब ठीक कर देता है)
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रिश्तों में दरारें आज बहुत हैं
सुलझाने जाऊं तो उलझते बहुत हैं
कैसे बताये, मजबूरियां अपनी उनसे
बताने जाऊं भी तो, अब दूरियां बहुत हैं
याद एक दूसरे को हम आज भी करते हैं
मगर हाल-ऐ-दिल कभी पूछते नहीं
रास्ते तो हैं एक सा हमारे
मगर अब कभी साथ चलते नहीं
जो कभी मिल जाये नज़र हमारे
हम अब नजरों को पढ़ते नहीं
हाल-ऐ-दिल कभी सुनते नहीं
रोज दुवा करते हैं लौट आये फिरसे वो पल
खुशियों से घिरे रहे हमारे पल
मगर परिस्तिथियाँ,हालात फिरसे दिखा देती है बीते कल
बातें, किये वादे, अब सब झुठी लगती हैं
रिश्तों की डोर अब खुलती दिखती है
मगर प्यार हमारा सच्चा है
थोड़ा वक़्त का अभी मारा है
क्या हुवा जो रिश्तों में अभी दरार है
हौसला तो टूटा नहीं
वक़्त का बस अभी इंतेज़ार है"
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" Kuch chehre(tasveerein) bs yaad bnkr reh jaate hain "
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" हवाओं को ज़ुल्फ़ों से,
अभी और थोड़ा खेलने दे,
रात तन्हा गुज़ारनी होती है,
चाँद को तो ज़रा आ जाने दे। "
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